mahadevi verma ka jivan parichay class 10th: भारतीय साहित्य इतिहास की एक महान छायावादी लेखिका महादेवी वर्मा को कौन नहीं जनता है महादेवी वर्मा भारत के साहित्य की एक महान लेखिका है इनका जन्म धार्मिक विचार से जुड़े एक छोटे से परिवार में हुआ था इन्होने अपने पुरे जीवन को लेखन कार्य में समर्पित कर दिया और अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य किया I
पीड़ा की गायिका तथा आधुनिक युग की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा ने अपनी रचनाओं, के माध्यम से भारतीय समाज में आने वाली तमाम समस्याओं, विचारधारा, और महसूस की गहराइयों को छूने का प्रयास किया I महादेवी वर्मा के द्वारा लिखित रचनाएँ, कहानियां, कवितायेँ, नाटक और निबंध उनके द्वारा दिए गए शहित्य में योगदान को दर्शाती हैं I तथा समृद्धि, मानवता, और स्वतंत्रता को दर्शाती हैं I
तो दोस्तों आज के इस लेख के माध्यम से हम भारत के महान लेखिका महादेवी वर्मा के जीवन के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे I इसलिए इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़े और हमें कमेंट करके बताएं की ये लेख आपको कैसा लगा I
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय: Biography of Mahadevi Verma
नाम | महादेवी वर्मा |
पिता का नाम | गोविन्द प्रसाद वर्मा |
माता का नाम | हेमरानी देवी |
जन्म | 26 मार्च 1907 |
जन्म स्थान | फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश |
धर्म | हिन्दू |
नागरिकता | भारतीय |
पेशा | कवयित्री, उपन्यासकार और लघुकथा लेखिका |
शिक्षा | मिशन स्कूल इंदौर मध्य प्रदेश और क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश |
प्रमुख रचनाएँ | निहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1933), संध्यागीत (1935), प्रथम अयम (1949), सप्तपर्णा (1959), दीपशिखा (1942) तथा अग्नि रेखा (1988) |
पुरस्कार | पद्मभूषण 1956, पद्मविभूषण 1988, ज्ञानपीठ पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया |
मृत्यु | 11 सितम्बर 1987 |
मृत्यु स्थान | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश |
महादेवी वर्मा का पारिवारिक जीवन: Family Life of Mahadevi Verma
लेखिका महादेवी वर्मा के पिता गोविन्द प्रसाद वर्मा बिहार के भागलपुर जिला में एक महाविद्यालय में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत थे I इनकी माता जी एक कुशल गृहणी थी और हमेशा धर्मिक कार्यों में व्यस्त रहती थी क्योकि इनका धार्मिक कार्यों में काफी रूचि थी I महादेवी वर्मा के परिवार में इनके अलावां दो भाई थे I इनके परिवार में हमेशा भक्ति भावना का माहौल बना रहता था क्योकि इनके घर में हमेशा रामायण, गीता, और पुराण के पाठ हुआ करता था I
नौ साल के उम्र में ही उनकी शादी कर दी गयी I इनके पति का नाम स्वरुपनारायण वर्मा था और इन्ही दिनों के बाद उनकी माता का देहांत हो गया I अब माँ का साया महादेवी वर्मा के सर से उठ गया उसके बाद भी इन्होने ने पढाई नहीं छोड़ी I इसके फलस्वरूप उन्होंने 10 वीं से लेकर एम. ए. तक की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में पास किया है I
महादेवी वर्मा के विचार
महादेवी वर्मा की कम उम्र में शादी तो हो गयी परन्तु उन्हें अपनी वैवाहिक जीवन में कोई रूचि नहीं थी I हालाँकि उनके पति स्वरुप नारायण एक अच्छे ब्यक्ति थे I इसलिए महादेवी वर्मा का उनसे कोई शिकायत नहीं थी उनका वैवाहिक जीवन भले ही अच्छा नहीं था लेकिन उनका सम्बन्ध एक सामान्य स्त्री पुरुष के भांति काफी अच्छा और मधुर था I
दोनों ही एक दुसरे को पत्र लिखकर आपस में बात किया करते थे इसके आलावा दोनों एक दुसरे से मिलाने भी जाते थे फिर भी महादेवी वर्मा का जीवन एक सन्यासी की तरह बिताता था I उन्होंने पुरे जीवन भर सादा जीवन बिताया और हमेशा स्वेत वस्त्र ही धारण करती थी I जब 1966 में उनके पति स्वरुप नारायण की मृत्यु हो गयी उसके बाद से वह इलाहाबाद में अकेली रहने लगीं
महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय
हिंदी साहित्य में द्विवेदी युग के समय कविताओं की रचनाओं में जो धारा प्रवाहित हुई है उससे उन रचनाओं को छायावादी कविता के नाम से जाना जाता है I महादेवी वर्मा उसी छायावादी युग की महान कवियित्री थी उनकी कविताओं में सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है की उनकी रचनाएँ भावुकता और भावों से भरा हुआ होता था I
महादेवी वर्मा ने अपने साहित्यिक जीवन में कई मनमोहक कृतियाँ की रचनायें प्रदान की महादेवी वर्मा एक कवी होने के साथ एक महान गद्य लेखिका भी थी I उनकी कुछ महत्वपूर्ण रचनाएँ निम्नलिखित हैं I
महादेवी वर्मा की गद्य शैली और रचनाएँ
गद्य रचनाएँ | रचना के वर्ष |
अतीत के चलचित्र | वर्ष 1961 |
स्मृति की रेखाएं | वर्ष 1943 |
पाठ के साथी | वर्ष 1956 |
मेरा परिवार | वर्ष 1972 |
संस्कारण | वर्ष 1943 |
सम्भासन | वर्ष 1949 |
श्रृंखला के करिए | वर्ष 1972 |
स्कन्धा | वर्ष 1956 |
हिमालय | वर्ष 1973 |
महादेवी वर्मा की कविताएं
जब वे इलाहाबाद में अध्ययन कार्य के लिए गयी थी तो वे एक छात्रावास में रही थी छात्रावास कक्ष में उनकी रूममेट सुभद्रा कुमारी चौहान भी उनके साथ रहती थी। सुभद्राकुमारी चौहान के साथ महादेवी वर्मा का सहित्यिक आदान प्रदान हुआ। जिसके परिणाम स्वरुप ही जो महादेवी जी के अंदर बीज रूपी साहित्यिक संस्कार मौजूद थे वे उभर कर एक दिशा प्राप्त करने लगे। सुभद्राकुमारी चौहान ने उनको काव्य जीवन में आगे बढ़ने के लिए बेहद प्रोत्साहित किया था।
- मैं नीर भरी दुःख की बदली !
- फिर विकल है प्राण मेरे !
- बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी !
- इन आँखों ने देखि न रह कहीं !
- झिलमिलाती रात मेरी !
- सब आँखों के आँसू उजले सबके सपनों में सत्य पला !
- क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे !
- जाग तुझको दूर जाना !
- कौन तुम मेरे ह्रदय में !
- तुम दुःख बन इस पथ से आना !
महादेवी वर्मा की काव्य रचनाएँ
महादेवी वर्मा ने गद्य के आलावा कई काव्य संग्रहों की भी रचनाये की है I उनके कुछ महत्वपूर्ण काव्य रचनाओं के नाम निचे दिए गए हैं I
काव्य रचनाओं के नाम | रचना का वर्ष |
निहार | 1930 |
रश्मि | 1932 |
नीरजा | 1933 |
सांध्यगीत | 1935 |
अग्निरेखा | 1988 |
दीपशिखा | 1942 |
प्रथमआयाम | 1949 |
सप्तपर्णा | 1959 |
अनूदित | 1959 |
महादेवी वर्मा को दिया गया पुरस्कार और सम्मान
महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma ka Jivan Parichay) मानव मन की भावनाओं को जिया उन्होंने शब्दों को पिरोया । यह उनकी सभी रचनाओं में देखने को मिलता था। महादेवी वर्मा को अपनी उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए अनेकों पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया है I उनमें से कुछ महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान की जानकारी निचे हम देने जा रहें है I
- 1943 में उन्हें ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ एवं ‘भारत भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । इन्हें स्वाधीनता प्राप्ति के बाद 1952 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्या नियुक्त किया गया । 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिये ‘पद्म भूषण’ की उपाधि से भी नवाजा गया ।
- 1969 के साल में विक्रम विश्वविद्यालय, 1977 में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल, 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय तथा 1984 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी इन चारों विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट की उपाधि प्रदान की I
- डी लिट की उपाधि पाने के पूर्व महादेवी वर्मा को रचना ‘नीरजा’ के लिये सन 1934 में ‘सक्सेरिया पुरस्कार’, 1942 में इनकी एक और रचना ‘स्मृति की रेखाएँ’ के लिये ‘द्विवेदी पदक’ प्राप्त हुए।
- सन 1971 में साहित्य अकादमी की सदस्यता ग्रहण करने वाली महादेवी वर्मा वे पहली महिला थीं। 1988 में उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार की पद्म विभूषण उपाधि से भी सम्मानित किया गया था ।
- उनकी एक रचना ‘यामा’ नामक काव्य संकलन के लिये उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया । वे भारत की 50 सबसे यशस्वी महिलाओं में भी शामिल हो गयी थी हैं।
महादेवी वर्मा की मृत्यु कब हुई !
भारत के हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक मणि जाने वाली और आधुनिक युग के सबसे प्रसिद्ध कवियित्री महादेवी वर्मा जिन्हे आधुनिक युग की मीरा भी कहा जाता था जिनको महान कवि निराला ने हिंदी की विशाल मंदिर की सरस्वती भी कहा था महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की कवयित्री थी I
महादेवी वर्मा की मृत्यु 11 सितम्बर 1987 को रात्रि 9 बजकर 30 मिनट पर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था I इनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुआ था I इनके मृत्यु के बाद भारतीय साहित्य जगत में एक बहुत बड़ी कमी महसूस होने लगी I उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं की शिक्षा और उनकी आर्थिक आत्म निर्भरता के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया था I
इन्होंने अपनी कविताओं में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार को ही नहीं बल्कि समाज के अनेकों कुरूतियों जैसे गरीब और जरूरतमंद तथा दलित लोगों के भाव को भी अपनी रचनओं के माध्यम से चित्रित किया। इसके साथ ही महादेवी वर्मा जी के व्यक्तित्व और स्वभाव का बहुत प्रभाव हमारे समाज में पड़ा जिसको देखकर बहुत से रचनाकार और लेखक उनसे प्रभावित हुए। हिंदी साहित्य में महादेवी जी का योगदान हमेशा हमेशा याद किया जायेगा, साथ ही उनकी दूरदर्शी सोच के भी सभी कायल थे इसलिए इन्हें साहित्य सम्राज्ञी का दर्ज़ा भी दिया गया। मरकर भी आज वे समाज के प्रति किए गए कार्यों और अपनी जीवंत रचनाओं में अमर हैं और अमर रहेंगीं ।
तो दोस्तों ये था महादेवी वर्मा का जीवन परिचय (Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay) जिसको हमने इस लेख के माध्यम से देखा और पढ़ा उम्मीद है यह लेख आप लोगों को अच्छा लगा होगा I यदि आप लोगों को ये लेख अच्छा लगा है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं जिससे हमने मोटिवेशन मिलता है जिससे हम आगे भी जीवनी से सम्बंधित लेख लिखते रहें I
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