बहुत ही प्रचलित कवि जिनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है एक ऐसे कवि , रचनाकार जिनकी कृतियाँ भारत के साहित्यिक इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं , प्रकृति सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत जी का जीवन परिचय एवं उनकी प्रमुख रचनाएँ आज के इस लेख में हम आसानी से जानेगें
इस लेख में सुमित्रानंदन पंत जी के जीवन कैसा रहा एवं उनकी प्रमुख रचनाए कौन कौन सी है आदि के बारें में विस्तार से जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें
Sumitranandan Pant ka Jivan Parichay overview
नाम | सुमित्रानंदन पंत |
जन्म | 20 मई 1900 |
सुमित्रानंदन पंत का जन्म स्थान | कौसानी , उत्तराखंड |
मृत्यु | 28 दिसम्बर 1977 , इलाहाबाद |
सुमित्रानंदन पंत की माता का नाम | सरस्वती देवी |
पिता का नाम | गंगादत्त पंत |
बचपन का नाम | गोसाईं दत्त |
प्रचलित | प्रकृति के सुकुमार कवि |
परिवर्तन सम्राट सुमित्रानंदन पंत कौन है?
संपूर्ण भारत वर्ष में अब तक ऐसे अनेकों प्रकार के कवी हुए जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया परंतु महा कवि सुमित्रानंदन पंत जी एक ऐसे कवि माने जाते हैं , जिनके बिना हिंदी साहित्य का विकास अधूरा माना जाता है।
हिंदी साहित्य के महान कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने हिंदी साहित्य के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। महान कवि सुमित्रानंदन पंत जी के जन्म स्थान कौसानी अत्यधिक खूबसूरत गांव था। वह एक ऐसा गांव था, जहां पर प्रकृति के द्वारा लोगों को घनघोर प्रेम प्राप्त होता था।
ऐसे में महान कवि सुमित्रानंदन पंत जी को भी इस घनघोर प्रकृति का यथार्थ प्रेम मिला , जिसके कारण उन्होंने अपनी रचनाओं में अधिकतर झरने , किरण , लता , भ्रमण गुंजन , शीतल पवन , तारों, बर्फ , पुष्प , उषा , इत्यादि का प्रयोग किया है
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय
20 मई सन 1900 को उत्तराखंड के बहुत ही खूबसूरत प्राकृतिक स्थान कौसानी में गोसाई दत्त का जन्म हुआ था , बाद में इन्होने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पन्त रख लिया |
महान कवि सुमित्रानंदन पंत जी की माता जी का निधन इनके जन्म से कुछ ही समय बाद हो गया। जिसके कारण इनका पालन-पोषण इनकी दादी के द्वारा किया गया ।
सुमित्रानंदन पंत जी अपने सभी भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। सुमित्रानंदन पंत जी के बचपन का नाम गोसाई दत्त था , सुमित्रानंदन पंत जी को अपना यह नाम अच्छा नहीं लगता था , इसलिए उन्होंने अपना नाम स्वयं से बदलकर के सुमित्रानंदन पंत रख लिया।
सुमित्रानंदन पंत जी इतने विद्वान थे , कि उन्होंने लगभग 7 वर्ष की उम्र से ही कविताएं लिखना प्रारंभ कर दिया है।
सुमित्रानंदन पंत का साहित्यिक परिचय
सुमित्रा नंदन पंत जी बचपन से ही कविताओं की रचना करने में काफी रूचि रखते थे। सुमित्रानंदन पंत ने अपनी प्रारंभिक कविता “हुक्के का धुआं” लिखा था।
सुमित्रानंदन पंत सदैव काव्य की निरंतर साधना के शीर्षक कवियों में से प्रमुख कवि माने जाते हैं। सुमित्रानंदन पंत बाद में वर्ष 1950 ईस्वी में आकाशवाणी में अधिकारी बने। सुमित्रानंदन पंत जी ने साहित्य साधना के लिए रुचि होने के कारण विवाह नहीं किया।
सुमित्रानंदन पंत जी के साहित्य साधना के लिए भारत सरकार के द्वारा पद्मभूषण पुरस्कार दिया गया। सुमित्रानंदन पंत जी ने अपने जीवन को प्रत्येक परिस्थिति में आत्मनिर्भर, आत्म विभोर और तन्मय होकर जिया है।
सुमित्रानंदन पंत जी की शिक्षा
सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को अल्मोड़ा के ही एक पूर्व विद्यालय से की थी। इसके बाद सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए लगभग 18 वर्ष की उम्र में बनारस में अपने भाई के पास चले आए।
सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इलाहाबाद चले गए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पढाई के समय ही महात्मा गाँधी जी ने वर्ष 1921 में असहयोग आन्दोलन में अंग्रेजी शासन द्वारा चलायी जा रही सरकारी संस्थानों का बहिष्कार करने का आह्वाहन किया |
इससे प्रभावित सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी स्नातक की पढ़ाई को बिच में छोड़ दिया । उन्होंने स्व अध्ययन से संस्कृत बंगला और अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त की |
काव्य चेतना का विकास
हिंदी के नवीन धारा के प्रवर्तक कवि के रूप में महा कवि सुमित्रानंदन पंत जी वर्ष 1918 के आसपास समस्त भारत में धीरे धीरे पहचाने जाने लगे। लगभग वर्ष 1936 तक सुमित्रानंदन पंत जी ने एक प्रसिद्ध काव्य संकलन पल्लव का प्रकाशन भी किया ।
सुमित्रानंदन पंत जी कुछ समय पश्चात् अपने गांव अल्मोड़ा वापस आ गए , जहां पर मार्क्स और प्राइड की विचारधाराएं प्राप्त हुई इन विचारधाराओं से सुमित्रानंदन पंत जी बहुत अधिक प्रभावित हुए। सुमित्रानंदन पंत जी ने वर्ष 1938 में एक और मासिक पत्रिका का संपादन किया , इस पत्रिका का नाम रूपाभ था। सुमित्रानंदन पंत जी ने वर्ष 1955 से 1962 तक आकाशवाणी चैनल के साथ जुड़े रहे और उन्होंने इस चैनल पर मुख्य निर्माता का पद भी संभाला।
PANT KE ANYA NAAM
सुमित्त्रानंदन पन्त का एक अन्य नाम गोसाई दत्त है, जो कि उनके पिता के द्वारा रखा गया था, परंतु बाद में पंत ने अपना नाम गोसाई दत्त से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रखा।
सुमित्रानंदन पंत किस युग के कवि थे?
सुमित्रानंदन पंत छायावादी युग के कवि हैं। इसके अलावा सुमित्रानंदन पंत को छायावादी युग के चार स्तंभ कवियों में प्रमुख स्थान प्राप्त है।
सुमित्रानंदन पंत का भाव पक्ष
सुमित्रानंदन पंत जी की कविताओं में सुकुमार एवं कोमलता का दर्शन देखने को मिलता है। सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी कविताओं में प्रकृति और मनुष्यों के भावों को बड़ी ही कोमलता के साथ चित्रित किया है। इन्हीं कारणों से सुमित्रानंदन पंत को “प्रकृति का सुकुमार कवि” भी कहा जाता है।
सुमित्रानंदन पंत को ज्ञानपीठ पुरस्कार कब मिला था?
महा कवि सुमित्रानंदन पंत को ज्ञानपीठ का पुरस्कार वर्ष 1968 ईस्वी में प्राप्त हुआ। महा कवि सुमित्रानंदन पंत को ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ-साथ अन्य पुरस्कार भी मिले हैं, जिनका विवरण नीचे इस प्रकार से है।
वर्ष | पुरस्कार |
1960 | साहित्य अकादमी |
1961 | पद्मा विभूषण |
1968 | ज्ञानपीठ पुरस्कार |
सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएँ
अनेक प्रकार की विधा में सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी रचना को लिखा है , जिसमें से हम आपको कुछ रचनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं , जो कि नीचे निम्नलिखित है।
- वाणी
- युगांत
- ग्राम में
- पल्लव
- गुंजन
- युगपथ
- युगवाणी
- काला और बूढ़ा चांद
- चिदंबरा
सुमित्रानंदन पंत की अन्य रचनाएं
- लोकायतन
- ज्योत्सना
- परी
- हाट
- पांच कहानियां
- स्वर्ण किरण
- स्वर्ण धूल
- उत्तरा
- अंतिमा
- रजत रश्मि
- शिल्पी
- रश्मि बंद
अन्य कवि के साथ संयुक्त संग्रह
खादी के फूल नाम से संयुक्त संग्रह प्रकाशित हुआ था। जो हरिवंशराय बच्चन जी के साथ था |
सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति पर कविता
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया, कि सुमित्रानंदन पंत का गांव प्रकृति के दृश्य से गिरा हुआ था। अतः प्रकृति से लगाव होने के कारण सुमित्रानंदन पंत ने बहुत ही अच्छी कविताएं लिखी हैं, जोकि प्रकृति से संबंधित हैं। हमने सुमित्रानंदन पंत के द्वारा लिखे गए प्रकृति के संबंध में कुछ कविताओं के नाम नीचे निम्नलिखित प्रकार से दर्शाए हैं;
सुमित्रानंदन पंत की कविता वीणा
वीणा कविता को वर्ष 1927 ईस्वी में हिंदी साहित्य के महान कवि सुमित्रानंदन पंत के द्वारा प्रकाशित किया गया। इस कविता को सुमित्रानंदन पंत ने अपनी हाई स्कूल की परीक्षा समाप्त होने के बाद गर्मी की छुट्टियों में बैठकर लिखा था।
सुमित्रानंदन पंत ने अपने इस कविता की शैली और भाव भूमि में बनारस को संचित करने का अच्छा प्रयास किया। सुमित्रानंदन पंत जी ने अपने इस कविता के माध्यम से कविंद्र रविंद्र, सरोजिनी नायडू, महाकवि कालिदास और अंग्रेजी भाषा के कवियों के प्रभाव को वर्णित किया है।
सुमित्रानंदन पंत की मृत्यु
सुमित्रानंदन पंत जी की मृत्यु इलाहाबाद में वर्ष 1977 में 28 दिसंबर को हुआ था। सुमित्रानंदन पंत जी के प्रमुख यात्री के कारण उन्हें हिंदी साहित्य का युग प्रवर्तक कवि कहा जाता है।
आज के इस लेख के माध्यम से हमने आपको सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान कराई है, यदि आपको यह लेख पसंद आया हो, तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें, ताकि उन लोगों को भी यह पता चल सके, कि सुमित्रानंदन पंत जी का साहित्यिक जीवन क्या था। यदि आपके मन में इस लेख को लेकर किसी भी प्रकार का सवाल या फिर सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।
Sumitranandan Pant ka Jivan Parichay FAQ
सुमित्रानन्दन पन्त ने कविता कब लिखनी शुरु की?
7 वर्ष की उम्र में ही पंत जी ने कविता लिखना शुरू कर दिया था
सुमित्रा नंदन पंत को ज्ञानपीठ पुरस्कार कब मिला?
कविता संग्रह चिदम्बरा के लिए 1968 में सुमित्रानंदन पंत जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला
सुमित्रा नंदन पंत का असली नाम क्या है?
सुमित्रानंदन पंत जी का बचपन का नाम गोसाईं दत्त था
प्रकृति के सुकुमार कवि कौन कहलाते हैं?
सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत का साहित्य में क्या स्थान है?
छायावाद के युग प्रवर्तक के रूप में
कवि पंत समाजवाद की ओर कब उन्मुख हुए?
उनके जीवन के 1907 से 1918 तक का समय
सुमित्रानंदन पंत का कला पक्ष क्या है?
कोमलता और कल्पना
सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी उत्तराखंड में हुवा था
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